आई नोट , भाग 16
अध्याय 3
दिमागी कैद
भाग 2
★★★
लिफ्ट से निकलने के बाद शख्स अपने घर की तरफ बढ़ा। वह धीमें कदमों से चल रहा था। धीमें कदमों से चलते हुए उसने अपने मन में कहा “दिमागी कैद... अब इस पर एक लेचर देने का मन कर रहा है। यह सच में एक ऐसा टॉपिक है जिसके बारे में सभी को जानकारी होना आवश्यक है। यही वो चीज है... जो डिसाइड करती है आने वाले समय में कौन अच्छा बनेगा कौन बुरा।”
घर की तरफ बढ़ने के बाद जैसे ही उसने दरवाजा खोला, देखा मानवी घर के किचन में है।
यह देखते ही शख्स ने अपने कदम जहांँ थे वहीं रोक लिए और अपने मन में कहा “ओह गाॅड, यह मुझसे पहले आ गई। वो ऊपर छत वाली पागल लड़की, अभी कहानी में आई नहीं और मुसीबतें पहले से ही खड़ी कर दी। आपका क्या होगा लेखक महोदय... क्या होगा..। देखना जिन्दगी में जितने भी पाप किए हैं, उसकी सजा आपको गिन गिन कर मिलने वाली है। ”
उसने धीरे से दरवाजा बन्द किया, अपनी चपले खोली, और सांँस रोक कर दबे कदमों से बाथरूम की तरफ जाने लगा। मानवी का ध्यान किचन में गैस की ओर था, जिस वजह से उसका चेहरा सामने की तरफ था। शख्स बाथरूम के पास गया, धीरे से दरवाजा खोला और रोकी हुई साँस बाहर की तरफ छोड़ी।
उसने अपना हाथ दिल पर रखकर दिल की धड़कन को महसूस किया। उसके दिल की धड़कनें तेज हो गई थी। शख्स ने मन में कहा “कभी-कभी यह छोटे-मोटे काम कहानी लिखने और कत्ल करने से भी ज्यादा मुश्किल लगने लगते हैं।” उसने गहरी सांँस ली और उसे बाहर की तरफ छोड़ते हुए बाथरूम का दरवाजा खोला और बाहर की तरफ आ गया।
बाहर की तरफ आते हुए उसने मानवी को देखा और नाटकीय अंदाज में कहा “तुम आ गई मानवी, आज तो बड़ी जल्दी की आने में।”
“नहीं तो..।” मानवी ने यह सुना तो उसमें बिना शख्स की तरफ देखे जवाब दिया “मैंने तो हमेशा की तरह आज भी पांँच राउंड पूरे किए है।”
शख्स अपने मन में बोला “हांँ जानता हूंँ... बता भी किसे रही हो... वैसे भी लेट तुम नहीं हुई थी बल्कि मैं हुआ था... तुम्हें पता है मानवी...” वह मानवी की तरफ घुमा और अपने मन में ही आगे बोलते हुए कहा “अपनी बिल्डिंग में एक पागल लड़की आई है। छोटी उम्र की है मगर खतरनाक लगती है। तुम जितना हो सके उससे दूर रहना। क्या पता कब पागल लड़की का दिमाग सटक जाए और कब वो कुछ ऐसा वैसा कर बैठे। वो एक दिमागी कैद से ग्रस्त लड़की है। दिमागी कैद... जिस पर मैं एक लेक्चर देने का सोच रहा हूंँ।”
मानवी शख्स की तरफ पलटी तो शख्स इधर-उधर देखने लगा। मानवी ने कहा “तुम चाय पीना पसन्द करोगे, मैंने एक एक्स्ट्रा कप बना लिया है।”
“चाय!!” शख्स ने अजीब सा मुंँह बनाया “तुम्हें पता है ना मैं चाय नहीं पीता...” मगर इसके बाद उसने तुरन्त अपना मूंँह ठीक करते हुए कहा “मगर तुम कह रही हो तो पी लेता हूंँ। मुझे कौन सा डॉक्टर ने चाय पीने से मना किया है।”
यह सुनकर मानवी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वही शख्स पलटा और सोफे पर बैठते हुए कांँच की टेबल पर मौजूद न्यूज़पेपर उठा लिया। मानवी चाय लेकर आई और उसे मेज पर रखते हुए वहीं साथ के सोफे पर बैठ गई।
मानवी ने सोफे पर बैठे हुए कहा “अच्छा, मुझे ना तुमसे कुछ बात करनी थी।” उसने अपने चेहरे पर हल्की चिन्ता के भाव दिखाए “मैं कल रात भी तुमसे इस बारे में बात करना चाहती थी, मगर कल रात ज्यादा हो गई थी तो बात करना सही नहीं समझा।”
“हांँ कहो..।” शख्स ने न्यूज़ पेपर से अपना ध्यान नहीं हटाया। “मैं तुम्हें सुन रहा हूंँ।”
“वो...।” मानवी ने हिचकिचाहट दिखाई “वो... क्या तुम इस बात को लेकर श्योर हो कि मैं बाहर जॉब करने के लिए जाऊंँ?”
मानवी ने यह कहा तो शख्स न्यूज़पेपर पढ़ते-पढ़ते रुक गया। रुकने के बाद उसने अपने मन में कहा “नहीं! बिल्कुल भी नहीं! मैं इसे लेकर श्योर नहीं हूंँ, मगर ऐसा आखिर कब तक चलेगा। मैं तुम्हें जिन्दगी भर कैद करके नहीं रख सकता। अगर मैं कुछ ऐसा करता हूंँ तो दिमागी कैद वाली थ्योरी तुम पर भी लागू होगी। तुम.. तुम भी खतरनाक हो जाओगी। हांँ माना कि जमाना सही नहीं है, लेकिन आज नहीं सही तो कल, कल मुझे तुम्हें इस जमाने में रहना सिखाना ही होगा।”
अपने मन में कहने के बाद शख्स ने अखबार समेटी और उसे मेज पर रख दिया। मेज पर रखने के बाद उसने मानवी की तरफ देखा और उसकी आंँखों में आंँखें डालते हुए कहा “देखो, मैं जानता हूंँ मैंने जो डिसीजन लिया वह तुम्हारे लिए एक्सेप्ट करने वाला नहीं है। शादी के बाद से ही मैंने तुम पर काफी सारी पाबन्दियांँ लगाई, जो कि भले ही जायज हो मगर यह कभी भी एक तरह से सही डिसीजन नहीं था। मैं तो इस बात के लिए तुम्हें थैंक्स कहना चाहूंँगा कि तुमने कभी भी मेरी इन पाबन्दियों को लेकर अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा। तुम ने इन्हें सिर्फ और सिर्फ एक्सेप्ट किया। मगर मैं ऐसा जिन्दगी भर नहीं कर सकता। मैं जिंदगी भर तुम पर पाबंदीया नहीं लगा सकता। मैं तुमसे प्यार करता हूंँ, बहुत ज्यादा करता हूंँ, लेकिन मैं अपने इस प्यार को तुम्हारी कैद नहीं बनने दे सकता।”
शख्स ने इतना कहकर मानवी की आंँखों में देखना छोड़ा और चाय के कप की तरफ देखते हुए उसे उठा लिया। चाय का कप उठाने के बाद उसने अपने मन में कहा “मेरे डायलॉग तो खतरनाक थे। ओह यार.... मैं कोई लव स्टोरी लिखने के बारे में क्यों नहीं सोचता? कभी-कभी मुझे लगता है कि मुझे क्राइम स्टोरी ना लिखकर लव स्टोरी लिखनी चाहिए। इस तरह के डायलॉग लव स्टोरी में लिखे जाए तो मांँ कसम पढ़ने वालों की आंँखों से आंँसू आ जाए।”
“लेकिन मुझे यह सही नहीं लग रहा..।” मानवी ने चिन्ता जाहिर करते हुए कहा “अगर मैं पिछले 3 सालों से ऐसे रही हूंँ तो आगे भी रह सकती हूंँ। मुझे नहीं लगता मुझे जॉब करनी चाहिए।”
“तो तुम क्या चाहती हो मैं लोगों को इस बात की वजह दूंँ कि वह मेरे प्यार को मेरा पागलपन समझे।” शख्स ने मानवी से कहा “मतलब, हांँ ठीक है लोगों को हमारे प्यार के बारे में नहीं पता, मगर अगर किसी को हमारे प्यार के बारे में पता चलेगा तो वह इसे मेरे पागलपन का नाम देंगा। जबकि तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूंँ। हांँ मैं थोड़ा हद से ज्यादा प्यार करता हूंँ, लेकिन मेरा प्यार पागलपन नहीं है।”
“अरे वह बात नहीं...।” मानवी ने शख्स की तरफ देखा “बस बात यह है कि मैं अन्दर से इस डिसीजन को लेकर खुश नहीं हो पा रही हूंँ।”
शख्स ने गहरी सांँस ली और मानवी के चेहरे की तरफ देखते हुए अपने मन में कहा “अन्दर से तो कोई भी खुश नहीं हो पाता। यहांँ तक कि मैं भी नहीं। लेकिन हमें टेंशन फ्री जिन्दगी जीना सीखना होगा। तुम्हें भी एक नई शुरुआत करनी होगी और मुझे भी। फिर मैं अब यह मरने मारने वाला काम भी छोड़ने वाला हूंँ। कब तक मैं तुम्हारी वजह से लोगों की जान लेता रहूंँगा। बेहतर यही है कि मैं तुम्हारे आजाद होने के बाद, खुद को भी बदल दूँ। मैं भी एक अच्छा इन्सान बन जाऊंँ।”
इतना कहकर उसने अपने मन के विचारों को छोड़ा और मानवी से कहा “तुम यह क्यों नहीं समझती की यह तुम्हारे लिए एक नई शुरुआत का मौका है। एक नई शुरुआत, एक ऐसी शुरुआत, एक ऐसी शुरुआत जहांँ तुम्हें कुछ नया सीखने को मिलेगा। तुम्हें इस दुनिया के रंग पता चलेंगे। तुम्हें... तुम्हें पता चलेगा मेरे अलावा जिन्दगी में और भी क्या कुछ खास है।”
“मगर हमारा प्यार...!!”
“प्यार कभी कम होता है क्या..” शख्स हंँसते हुए बोला “प्यार है पगली... शेयर बाजार की करेंसी नहीं जो नीचे गिरती जाएगी।” यह सुनकर मानवी भी हंँस पड़ी। शख्स आगे बोला “तुम इसे लेकर बेफिकर रहो और अपनी जो नई जिन्दगी है उसे इन्जॉय करो।”
शख्स के हाथ में चाय का कप था, उसने चाय के कप को चियर्स के रूप में आगे किया, जवाब में मानवी ने भी ऐसा किया। मानवी चाय पीने लगी जबकि शख्स अपनी दिमागी दुनिया में चला गया।
“अब क्या करूंँ मैं... मैं जानता हूंँ मैं मानवी से प्यार करता हूंँ... और हद से ज्यादा करता हूँ... लेकिन मुझे सच्चाई पता है। मुझे पता है हद से ज्यादा प्यार आगे जाकर सिरदर्द बन जाता है। इसकी वजह से मुसीबतें पैदा होती, इन्सानों के कत्ल तक हो जाते हैं, फिर मैंने कल घुटन वाली बात भी बताई थी, अगर मानवी इस दौर में और रही तो इसके पागल तक होने की सम्भावना है। फिर आज मुझे दिमागी कैद के बारे में भी पता चला। उसकी थ्योरी भी मानवी पर लागू होती है। अब मुझे आगे चलकर फ्यूचर में इन सभी मुसीबतों का सामना नहीं करना है तो इन परिस्थितियों को यही से सम्भालना सिखना होगा। हांँ मैं जानता हूंँ, मैं जानता हूंँ यह मेरे लिए तकलीफ दायक रहने वाला है, मगर मुझे इसकी आदत हो जाएगी। आदतें, उसमें तो इन्सान माहीर है ना। फिर लोग! वह लोग जिन्हें कल तक लगता था कि मैं एक बुरा इन्सान हूंँ... किसी को यूँ ही मार देता हूंँ...वो भी जान जाएंँगे कि मैं ऐसा नहीं हूंँ। मैं बुरा इन्सान नहीं। मेरे अन्दर अच्छाई भी है।” उसने मानवी की तरफ देखा। मानवी अपनी चाय को पीने में व्यस्त थी। शख्स ने दोबारा चाय के कप को चीयर्स के रूप में धीरे से उसकी तरफ किया और अपने मन में बोला “मानवी, अब चीजें बदलने वाली है। तुम्हें तुम्हारी जिन्दगी की नई शुरुआत के लिए ऑल द बेस्ट।”
इसके बाद शख्स भी खुद की चाय में व्यस्त हो गया। तकरीबन 30 मिनट बाद मानवी नहाने के लिए चली गई। जबकि शख्स तैयार होकर अपने प्रिंट कागज सम्भालते हुए ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा। ऑफिस वाले कपड़ों में वह सीधा साधा और किसी मिडिल क्लास कर्मचारी की तरह लग रहा था। उसने अपने सभी प्रिंट कागज बैग में डालें और उन्हें टांँगते हुए बाथरूम में नहा रही मानवी से बोला “अच्छा मानवी, मैं ऑफिस के लिए जा रहा हूंँ।”
जवाब में मानवी ने बाथरुम से कहा “हांँ ठीक है, मैंने तुम्हारा टिफन बनाकर किचन में रख रखा है, उसे ले जाना मत भूलना।”
शख्स ने यह सुना तो तुरन्त अपने बैग के साथ किचन की तरफ चल पड़ा। वहांँ से उसने टिफन उठाया और उठाकर शु रैक के पास आ गया। शू रैक के पास उसने जूते पहने। जूते पहनने के बाद वो दरवाजे की तरफ बढ़ा और दरवाजा खोला।
मगर जैसे ही उसने दरवाजा खोला वह पूरी तरह से हैरान हो गया। उसके ठीक सामने छत वाली लड़की खड़ी थी, उसके हाथ में लम्बा चाकू था जिसे उसने ऊपर की तरफ कर रखा था। उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा “डू यू वान्ट टू डाई.... क्या तुम मरना चाहते हो....?”
★★★
Sana Khan
03-Dec-2021 07:25 PM
Good
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